वर्तमान परिप्रेक्ष्य
16 अक्टूबर, 2019 को मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने ‘20वीं पशुधन गणना’ (20th Livestock Census) जारी की।
जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान पशुधन आबादी ‘गणना 2012’ की तुलना में 4.6 प्रतिशत बढ़कर 535.78 मिलियन के स्तर पर पहुंच गई है।
पशुधन गणना के क्रम में यह 20वीं पशुधन गणना है। इस गणना की सबसे विशेष बात यह है कि पहली बार पूरे देश में यह गणना कागज (अनुसूची) पर न होकर बल्कि टैबलेट (Online) के माध्यम से की गई है।
पशुधन गणना (Livestock Census) पृष्ठभूमि
अखिल भारतीय पशुधन गणना प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल पर पूरे देश में आयोजित होती है। यह प्रक्रिया ब्रिटिश भारत में वर्ष 1919-20 में पशुधन से संबंधित सूचनाएं एकत्र करने हेतु सीमित क्षेत्रों में प्रारंभ की गई थी।
द्वितीय पशुधन गणना वर्ष 1924-25 में उन्हीं बिंदुओं पर की गई। तदुपरांत प्रत्येक पशुधन गणना में अवधारणाओं और परिभाषाओं के बदलाव के साथ सीमाओं और आच्छादन का विस्तार होता चला गया।
आजादी के बाद प्रथम पशुधन गणना वर्ष 1951 में आयोजित की गई तथा उत्तरोत्तर हर पांचवें वर्ष यह गणना आयोजित की जाती है।
इससे पूर्व 19वीं पशुधन गणना (19th Livestock Census) सभी राज्यों एवं संघशासित प्रदेशों की सहायता से वर्ष 2012 में आयोजित की गई थी।
पशुधन गणना की आवश्यकता
पशुपालन देश के ग्रामीण क्षेत्रों में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, जिससे कृषि पर निर्भर परिवारों को अनुपूरक आय प्राप्त होती है। परिवारों को सहायक आय प्रदान करने के अतिरिक्त गोवंशीय, महिषवंशीय, भेड़, बकरी, सुअर, मुर्गीपालन आदि के रूप में पशुओं के पालन के अलावा दूध, अंडे और मांस के रूप में पोषण का एक स्रोत है।
चूंकि ये पशुधन ही सूखा और अन्य प्राकृतिक विपदाओं जैसे आकस्मिकताओं के समय ही अत्यधिक संख्या में ग्रामीणों के काम आता है। इसलिए पशुधन संगणना प्रशासनिक योजनाकारों, पशुपालन, वैज्ञानिकों और अन्य जो इस क्षेत्र के विकास में कार्यरत हों, के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
पशुओं के क्षेत्र में उचित योजना बनाने, कार्यक्रम तैयार करने, पुनर्निर्माण करने एवं विभिन्न योजनाओं के लिए सही दिशा देने, पशुधन के क्षेत्र में त्वरित व उचित विकास प्रदान करने में पशुधन गणना के आंकड़े राज्य के लिए सहायक होंगे।
लाभ
पशुपालन के क्षेत्र में कम निवेश के साथ भी वृद्धि होने की काफी संभावनाएं विद्यमान हैं। इस क्षेत्र में किसी नीति/कार्यक्रम की योजना तैयार करने के लिए, उनके प्रभावी क्रियान्वयन, उनके प्रभाव का अनुश्रवण और मूल्यांकन, संख्याओं का अनुमान, मूल आंकड़े हैं, जो पशुधन संगणना पर आधारित हैं।
यह संगणना पशुधन की आयु, लिंग इत्यादि सहित श्रेणीवार आधार पर पशुधन संख्या की विस्तृत सूचना का एकमात्र स्रोत है।
पशुधन संगणना को एक नमूने की तरह भी उपयोग किया जा सकता है।
20वीं पशुधन गणना
पशुधन गणना में सभी पालतू जानवरों एवं उनकी संख्या को आच्छादित (Cover) किया जाता है। 20वीं पशुधन गणना सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की भागीदारी से आयोजित की गई।
यह गणना ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में की गई।
पशुओं (मवेशियों, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, ऊंट, कुत्ता, खरगोश और हाथी) के विभिन्न नस्लों और घरों, घरेलू उद्यमों/गैर-घरेलू उद्यमों और संस्थानों में मौजूद कुक्कुट पक्षियों (मुर्गी, बत्तख, एमु, टर्की, बटेर आदि) की गणना संबंधित स्थलों पर ही की गई है।
20वीं पशुधन गणना के तहत टैबलेट कंप्यूटरों के जरिए डेटा संग्रह पर विशेष बल दिया गया है।
पहली बार संबंधित क्षेत्र से ऑनलाइन संप्रेषण के जरिए घरेलू स्तर के आंकड़ों के डिजिटलीकरण हेतु इस तरह की बड़ी पहल है।
20वीं पशुधन गणना में 27 करोड़ से भी अधिक घरेलू एवं गैर-घरेलू मवेशी के आंकड़ों का संग्रह किया गया है ताकि देश में पशुधन और कुक्कुट की कुल संख्या का सटीक आकलन किया जा सके।
इस गणना हेतु पहली बार प्रशिक्षण दिया गया, जिसकी शुरुआत दिल्ली में आयोजित’ प्रशिक्षकों हेतु अखिल भारतीय प्रशिक्षण कार्यशाला’ के साथ हुई। तत्पश्चात राज्य और जिला स्तर पर भी प्रशिक्षण देने का काम पूरा हुआ।
20वीं पशुधन गणना से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
देश में कुल पशुधन आबादी 535.78मिलियन है, जो पशुधन गणना, 2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है।
कुल गौवंशीय (Bovine) जैसे-मवेशी, भैंस, मिथुन और याक आदि की आबादी (Population) वर्ष 2019 में 302.79 मिलियन आकलित की गई, जो विगत गणना की तुलना में लगभग 1 प्रतिशत अधिक है।
देश में मवेशी (Cattle) की कुल संख्या वर्ष 2019 में 192.49 मिलियन है, जो विगत गणना की तुलना में 0.8 प्रतिशत अधिक है।
मादा मवेशी (गायों की संख्या) की संख्या 145.12 मिलियन आकलित है, जो विगत गणना (2012) की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है।
देश में विदेशी/संकर नस्ल (Exotic/Crossbred) और स्वदेशी/अवर्गीय (Indigenous/Non-Descript) मवेशी की कुल संख्या क्रमशः 50.42 मिलियन तथा 142.11 मिलियन है।
जहां स्वदेशी/अवर्गीय मादा मवेशी की कुल संख्या वर्ष 2019 में विगत गणना (2012) की तुलना में 10 प्रतिशत बढ़ी है। वहीं विदेशी/संकर नस्ल की संख्या में 26.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
स्वदेशी/अवर्गीय मवेशी की कुल संख्या में पिछली गणना की तुलना में 6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। हालांकि यह कमी वर्ष 2007-12 की गणना में लगभग 9 प्रतिशत की कमी की तुलना में काफी कम है।
देश में भैंसों की कुल संख्या 109.85 मिलियन है, जो वर्ष 2012 की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक है।
देश में भेड़ों एवं बकरियों की कुल संख्या क्रमशः 74.26 मिलियन तथा 148.88 मिलियन है।
भेड़ों एवं बकरियों की संख्या में वृद्धि वर्ष 2012 की गणना की तुलना में क्रमशः 14.1 प्रतिशत एवं 10.1 प्रतिशत अधिक है।
वर्तमान गणना में सुअर की कुल संख्या 9.06 मिलियन आकलित की गई है, जो वर्ष 2012 की तुलना में 12.03 प्रतिशत कम है।
मिथुन, याक, घोड़े, टट्टू, खच्चर, गधे तथा ऊंट सहित अन्य पशुधन मिलकर कुल पशुधन में लगभग 0.23 प्रतिशत का योगदान करते हैं, जिनकी कुल संख्या 1.24 मिलियन है।
देश में कुल कुक्कुट पालन (Poultry) संख्या वर्ष 2019 में 851.81 मिलियन दर्ज की गई है, जो विगत गणना की तुलना में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
देश में घरेलू कुक्कुट पक्षियों (Birds) की कुल संख्या 317.07 मिलियन है, जो पिछली गणना की तुलना में 46 प्रतिशत अधिक है।
देश में कुल वाणिज्यिक कुक्कुट पालन 537.74 मिलियन है, जो वर्ष 2012 की गणना की तुलना में 4.5 प्रतिशत अधिक है।
पशुधन जनसंख्या–प्रमुख प्रजातियां | |||
श्रेणी | जनसंख्या, 2012 (मिलियन में) | जनसंख्या, 2019(मिलियन में) | प्रतिशत वृद्धि |
मवेशी (Cattle) | 190.9 | 192.49 | 0.83 |
भैंस (Buffalo) | 108.7 | 109.85 | 1.06 |
भेड़ (Sheep) | 65.07 | 74.26 | 14.13 |
बकरी (Goat) | 135.17 | 148.88 | 10.14 |
सुअर (Pig) | 10.29 | 9.06 | -12.03 |
मिथुन (Mithun) | 0.3 | 0.38 | 26.66 |
याक (Yak) | 0.08 | 0.06 | -25 |
घोड़े और टट्टू( Horses & Ponies) | 0.63 | 0.34 | -45.58 |
खच्चर (Mule) | 0.2 | 0.08 | -57.09 |
गधा (Donkey) | 0.32 | 0.12 | -61.23 |
ऊंट (Camel) | 0.4 | 0.25 | -37.05 |
कुल पशुधन | 512.06 | 535.78 | 4.63 |
- पशुधन जनसंख्या का वितरण, 2019
- पशुधन जनसंख्या 2019 – प्रमुख प्रजातियों का हिस्सा
प्रमुख राज्यों की पशुधन जनसंख्या वर्ष 2012 एवं 2019 | ||||
क्रम | राज्य | जनसंख्या, 2012(मिलियन में) | जनसंख्या, 2019(मिलियन में) | प्रतिशत परिवर्तन |
1 | उत्तर प्रदेश | 68.7 | 67.8 | -1.35 |
2 | राजस्थान | 57.7 | 56.8 | -1.66 |
3 | मध्य प्रदेश | 36.3 | 40.6 | 11.81 |
4 | पश्चिम बंगाल | 30.3 | 37.4 | 23.32 |
5 | बिहार | 32.9 | 36.5 | 10.67 |
6 | आंध्र प्रदेश | 29.4 | 34 | 15.79 |
7 | महाराष्ट्र | 32.5 | 33 | 1.61 |
8 | तेलंगाना | 26.7 | 32.6 | 22.21 |
9 | कर्नाटक | 27.7 | 29 | 4.7 |
10 | गुजरात | 27.1 | 26.9 | -0.95 |
विशेष तथ्य एक दृष्टि में
पशुधन गणना प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल पर आयोजित की जाती है।
पहली अखिल भारतीय पशुधन गणना वर्ष 1919-20 में की गई।
दूसरी अखिल भारतीय पशुधन गणना वर्ष 1924-25 में की गई।
आजादी के बाद पहली पशुधन गणना वर्ष 1951 में की गई।
वर्तमान पशुधन गणना इस शृंखला की 20वीं कड़ी है।
वर्तमान पशुधन गणना पहली बार पूरे देश में कागज रहित अर्थात कंप्यूटर आधारित टैबलेट के माध्यम से की गई।
पशुधन गणना वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2019 में सर्वाधिक वृद्धि (% में) दर्ज करने वाले पशु-मिथुन (26.66%), भेड़ (14.13%) तथा बकरी (10.14%)।
वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2019 में सर्वाधिक कमी (% में) दर्ज करने वाले पशु – गधे (61.23%), खच्चर (57.09%) तथा घोड़े एवं टट्टू (45.58%)।
वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2019 में जहां उत्तर प्रदेश (1.35%), राजस्थान (1.66%) तथा गुजरात (.95%) में कुल पशुधन में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं पश्चिम बंगाल (23.32%), तेलंगाना (22.21%) तथा आंध्र प्रदेश (15.79%) आदि राज्यों में कुल पशुधन की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2019 में कुल पशुधन में गिरावट दर्ज की गई है। फिर भी कुल पशुधन के मामले में यह शीर्ष पर है।
वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2019 में मवेशी (Cattle) की संख्या में सर्वाधिक वृद्धि (% में) दर्ज करने वाले राज्य – झारखंड (28.16%), बिहार (25.18%) तथा पश्चिम बंगाल (15.18%)।
भैंसों की संख्या में जहां सर्वाधिक वृद्धि मध्य प्रदेश (25.88%) में दर्ज की गई है। वहीं सर्वाधिक कमी क्रमशः हरियाणा (28.22%) तथा पंजाब (22.17%) में दर्ज की गई है।
कुल पशुधन के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं बिहार।
मुर्गीपालन (Poultry) में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल एवं महाराष्ट्र।
गौवंशीय पशुओं की संख्या में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार एवं महाराष्ट्र।
भैंसों की संख्या के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश एवं बिहार।
भेड़ों की संख्या के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान एवं तमिलनाडु।
बकरियों की संख्या के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं मध्य प्रदेश।
सुअरों की जनसंख्या के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः असम, झारखंड, मेघालय, पश्चिम बंगाल एवं छत्तीसगढ़।
ऊंटों की संख्या के संदर्भ में शीर्ष चार राज्य क्रमशः राजस्थान, गुजरात, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश।
घोड़ों एवं टट्टूओं की संख्या के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः उत्तर प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, राजस्थान, बिहार एवं गुजरात।
खच्चरों की संख्या के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश।
गधों की संख्या के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात एवं बिहार।
मिथुन (Mithun) की संख्या के संदर्भ में शीर्ष चार राज्य क्रमशः अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर एवं मिजोरम।
याक की संख्या के संदर्भ में शीर्ष पांच राज्य क्रमशः जम्मू एवं कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल।